• Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 5

  • Apr 20 2025
  • Length: 1 min
  • Podcast

Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 5

  • Summary

  • 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूप दर्शन योग) - श्लोक 5संस्कृत श्लोक:

    "श्रीभगवानुवाच |
    पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रश: |
    नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ||"

    श्रीभगवान बोले:
    "हे पार्थ! मेरे सैकड़ों और हजारों दिव्य स्वरूपों को देखो, जो विभिन्न प्रकार के हैं, अनेक रंगों और आकारों से युक्त हैं।"

    👉 "पश्य मे पार्थ रूपाणि" – श्रीकृष्ण अर्जुन को अपने असंख्य दिव्य रूपों के दर्शन कराने जा रहे हैं।
    👉 "शतशोऽथ सहस्रशः" – भगवान के अनगिनत स्वरूप हैं, जिनकी गिनती सैकड़ों और हजारों में भी नहीं हो सकती।
    👉 "नानाविधानि दिव्यानि" – ये सभी स्वरूप दिव्य (अलौकिक) हैं, जिनका सामान्य मानव अनुभव नहीं कर सकता।
    👉 "नानावर्णाकृतीनि च" – भगवान के ये रूप विभिन्न रंगों, आकारों और स्वरूपों में हैं, जो उनकी अनंतता और व्यापकता को दर्शाते हैं।

    भगवान के स्वरूप अनंत हैं, वे केवल एक रूप तक सीमित नहीं हैं।
    संसार में सभी विविधताएँ भगवान के विभिन्न स्वरूपों का ही प्रतिबिंब हैं।
    यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि ईश्वर की महिमा असीम है, और वे अनेक रूपों में उपस्थित रहते हैं।

    💡 भगवान के विराट रूप को देखने के लिए हमें आध्यात्मिक दृष्टि की आवश्यकता होती है, जिसे केवल उनकी कृपा से प्राप्त किया जा सकता है।

    📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूप दर्शन योग) - श्लोक 5
    🕉 श्रीभगवान बोले:
    "हे पार्थ! मेरे सैकड़ों और हजारों दिव्य स्वरूपों को देखो, जो विभिन्न प्रकार के हैं, अनेक रंगों और आकारों से युक्त हैं।"

    🙏 गीता का यह श्लोक हमें सिखाता है कि भगवान के अनगिनत दिव्य स्वरूप हैं, और वे हर रूप में विद्यमान हैं।

    📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!
    🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं।

    #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #गीता_सार #SanatanDharma #BhagavadGita #KrishnaWisdom #Hinduism #Vedanta #Spirituality #गीता_उपदेश #महाभारत #GeetaShlok #KrishnaBhakti #Bhakti #Yoga #ज्ञानयोग #Moksha

    Show more Show less
adbl_web_global_use_to_activate_webcro768_stickypopup

What listeners say about Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 5

Average customer ratings

Reviews - Please select the tabs below to change the source of reviews.