• Mahabharat-GeetaSaaranshKavita
    Apr 20 2025

    प्यारे साथियो, नीरज की गुल्लक में पुनः आपका स्वागत है, और आज, हम फिरआपके समक्ष कुछ नया, कुछ धार्मिक और कुछ प्रेरित करने वाला प्रसंग लेकर प्रस्तुत हुए हैं, और हमारा पितृ मातृ गृह, भरतपुर, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के बहुत पास है. तो यह प्राकर्तिक है कि कृष्ण भगवान् में हमारी आस्था और हमारी गुल्लक की आस्था कुछ ज्यादा ही रहती है.

    आप यह तो जानते ही हैं कि, भगवान श्रीकृष्ण से, जब अर्जुन और दुर्योधन दोनों युद्ध में सहायता मांगने के लिए गए और फिर दुर्योधन ने १० लाख योद्धाओं की नारायणी सेना चुन ली,उस समय भगवान श्री कृष्ण ने चुटकी लेते हुए अर्जुन से कहा :

    हार निश्चित है तेरी, हर दम रहेगा उदास

    माखन दुर्योधन ले गया, केवल छाछ बची तेरे पास

    ….अर्जुन भी जवाब देता है सुनियेगा :

    हे प्रभु जीत निश्चित है मेरी ,

    दास हो नही सकता उदास

    माखन ले कर क्या करूँ ,

    जब माखन चोर है मेरे पास .. !!


    कौरवों द्वारा मैत्री प्रस्ताव धुकराये जाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से आकर कहा कि तुम्हारे सामने युद्ध ही शेष है, अब यहां से हमारी कविता जन्म लेती है.

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    17 mins
  • Krishna Sudama Prem Part-2
    Nov 24 2024

    नीरज की गुल्लक में फिर से आपका स्वागत है, आशा है कि आप सब की जिंदगी एकदम झकास चल रही है | मेरी जिंदगी , मेरी जिंदगी भी कुछ इस तरह से चल रही है, मानो धीमी आंच पर चाय उबल रही है
    हमने आपसे वादा किया था जल्दी ही आपके समक्ष उपस्तिथ होंगे कृष्णा सुदामा मैत्री का शेष भाग लेकर। वो कहते हैं ना कि, वो दोस्ती ही क्या जिसमे हिसाब हो, दोस्ती तो हमेशा बेहिसाब होती है।
    आईये शुरू करते हैं कृष्ण सुदामा प्रेम पार्ट २, दोस्ती/मैत्री का ये अद्भुत दृश्य, आनंदित होकर सुनिए
    द्वारपाल कृष्णा से कहता है.....

    Welcome back to Neeraj ki Gullak, hope you all are having a great time. My life, my life is also going on in such a way, as if tea is boiling on low flame. We had promised you that Krishna Sudama Prem Part -2 shall be presented before you soon. They say that friendship is not the only one in which there is calculation, friendship is always without any calculation. Let's start Krishna Sudama Prem Part 2, this wonderful scene of friendship. Let's listen with pleasure. The gatekeeper tells Krishna...

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    16 mins
  • Krishna Sudama Prem Part -1
    Nov 16 2024

    भगवान श्री कृष्ण के तमाम गुणों के साथ, उनके प्रेम और स्नेह की, अनेक कथाएं कहीं जाती हैं। जहां ब्रज की गोपियों के साथ, उनका प्रेम, पारलौकिक कहा जाता है। वहीं, अपने मित्रों के लिए उनका समर्पण भी अद्भुत दर्शाया गया है।

    चाहे वह अर्जुन के साथ उनकी मित्रता हो या सुदामा के लिए उनका स्नेह, दोनों ही चरम आदर्श स्थापित करते हैं। यूं तो हम सभी ने कृष्ण और सुदामा की मैत्री के बारे में, कभी ना कभी, अवश्य पढ़ा, और सुना होगा। और आज, आज मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके समक्ष कवि "सतीश सृजन" की एक और कलाकृति प्रस्तुत करने जा रहा हूँ. कविता का शीर्षक है "कृष्ण सुदामा प्रेम".

    Along with all the qualities of Lord Shri Krishna, there are many stories of his love and affection. While his love for the Gopis of Braj is said to be transcendental, his dedication towards his friends is also shown to be amazing.

    Whether it is his friendship with Arjun or his affection for Sudama, both set the highest ideals. We all must have read and heard about the friendship of Krishna and Sudama at some time or the other. And today, today it is my good fortune that I am going to present to you another artwork of poet "Satish Srujan". The title of the poem is "Krishna Sudama Prem".

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    12 mins
  • Kaanha-Se-Dwarkadeesh-Tak - Episode 3
    Oct 20 2024

    संवाद - कान्हा से द्वारकाधीश तक

    आप सब जानते ही हैं कि, कृष्ण के दो चरित्र हैं पहला चरित्र जो प्रेम से जुड़ा वो कान्हा कहलाया और दूसरा, जो युद्ध से जुड़ा वो द्वारकाधीश कहलाया


    कहते हैं कि राधा और श्रीकृष्ण का अंतिम मिलन द्वारिका में हुआ था और राधा जी की अंतिम इच्छा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई। बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा जी ने अपने शरीर का त्याग कर अपनी आत्मा को श्रीकृष्ण के साथ विलीन कर दिया।

    अब जरा कल्पना कीजिये, स्वर्ग में राधा और कृष्ण आमने सामने मिल जाएं तो वह दृश्य कैसा होगा, आनंदित होकर सुनिए

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    7 mins
  • Ram ki Chetavani - Episode 2
    Sep 28 2024

    आज मैं आपके समक्ष कवि "सतीश सृजन" की एक कलाकृति प्रस्तुत करने जा रहा हूँ. कविता का शीर्षक है "राम की चेतावनी".

    आप सब को यह तो विदित है ही कि माता सीता की हनुमानजी द्वारा खोज हो जाने पर श्रीराम ने सम्पूर्ण वानर सेना के साथ लंका-कूच की तैयारी कर ली थी. परन्तु सेना का समुद्र पार करना असंभव था, इसलिए श्रीराम ने समुद्र तट पर आसन बिछाकर तपस्या आरम्भ की और रास्ता देने के लिए समुद्र की अनुनय-विनय प्रारम्भ की. इसी प्रकार उपासना करते करते 3 दिन और रातें बीत गईं, लेकिन समुद्र ने उन्हें रास्ता नहीं दिया तब श्रीराम समुद्र पर पहली बार कुपित हुए.

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    8 mins
  • Mahabharata Bheeshm Ka Prann - Episode 1
    Sep 20 2024

    प्यारे साथियो, आज हिंदी दिवस पर आपके समक्ष एक महाभारत का प्रसंग प्रस्तुत करता हूँ,

    आप सबको यह तो विदित ही है की भगवान् श्रीकृष्ण ने बिना शस्त्र उठाये पांडवों का साथ देने का वचन लिया था. और कौरवों को अपनी पूरी नारायणी सेना सुपुर्द करदी थी

    यह प्रसंग महाभारत के युद्ध के नौवे दिन का है. इन दिनों भीष्म पितामह कौरव सेना के सेनापति थे.

    कविता शीर्षक-गांगेय की शपथ (भीष्म पितामह को गांगेय नाम से भी जाना था),

    कविता सतीश सृजन जी की है. आनंद लें

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    8 mins
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