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Khayal

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By: Radio Nasha - HT Smartcast
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ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो शायरी, शायरी नहीं होती। वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में। आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन | Art Entertainment & Performing Arts Social Sciences
Episodes
  • S2E27 | कौन मरता है ज़िंदगी के लिए - Sadat Nazeer
    Nov 2 2021
    आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    6 mins
  • S2E26 | बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है - Irfan Siddiqi
    Oct 26 2021
    आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    7 mins
  • S2E25 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad
    Oct 19 2021
    आज का ख्याल शायर आज़म बहज़ाद की कलम से । शायर कहते है -खराबी का कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल, कहा ज़ख्म खाये कहा से हुए वार यह भी दिखाना है मुश्किल। आज़म बेहज़ाद ने 1972 में कविता लिखना शुरू किया और सबसे लोकप्रिय समकालीन कवियों रूप में उभरे। उन्हें आलोचकों और जनता द्वारा समान रूप से सराहा गया था। उनके उपन्यास और रूपकों के लिए उनकी बहुत सराहना की गई थी। इसके अलावा, उन्हें जनता द्वारा उनके 'तरन्नुम' के लिए भी पसंद किया जाता था और अक्सर मुशायरों में इसके लिए अनुरोध किया जाता था। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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