गोपाल लाल जोरवाल Podcast By Gopal Lal Jorwal cover art

गोपाल लाल जोरवाल

गोपाल लाल जोरवाल

By: Gopal Lal Jorwal
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यह मुंशी प्रेमचंद की लिखी हुई कहानी कफन से है जिसमें एकभूखे परिवार के बारे में बताया गया है किस प्रकार से एक भूखे आप और बेटे घर की मारीहुई बहू के कफन के पैसों से शराब पीते हैं और किस प्रकार से वह दान भी करते हैं और अपनी आत्मा को खुश करते हैं इसी से यह जाहिर होता है कि हमारे समाज एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे आज भी भूखा रहना पड़ता है प्रेमचंद जी ने इस कहानी के माध्यम सेअलसी एवं भूख बेरोजगारी बकारी और गरीबीं को दर्शाया है।Gopal Lal Jorwal Art Literary History & Criticism
Episodes
  • दरवाजे पर दस्तक :प्रोफेसर की डायरी लेखक-डॉ लक्ष्मण यादव । professor ki Dairy :Dr. lakshman Yadav
    Apr 3 2024
    यह प्रोफेसर लक्ष्मण यादव की लिखी हुई आत्मकथमक डायरी का भाग दो है। जिसका शीर्षक है दरवाजे पर दस्तक
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    19 mins
  • प्रोफेसर की डायरी लेखक-लक्ष्मण यादव भाग-1 professor ki diary writer-dr.Lakshman Yadav Part-1
    Mar 18 2024
    यह डॉक्टर लक्ष्मण यादव की लिखी हुई अपनी डायरी है जिसमें की उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद को प्राप्त करना और उसको छोड़ना यह सारी बातें उन्होंने डायरी के रूप में लिखी है डॉक्टर यादव ने बताया कि किस प्रकार से वह दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐड हो प्रोफेसर नियुक्त हुए और किस प्रकार से उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय मजबूर होकर छोड़ना पड़ा और क्या-क्या घटनाक्रम हुए उन्होंने डायरी में इन्हें उतारा है। किस प्रकार उन्हें दलित होने पर सहना पड़ा। डॉ मौलाना आजाद कलाम महाविद्यालय में एड हॉक प्रोफेसर के पद पर दो लक्ष्मण यादव को नियुक्त किया गया और जब प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए थे तो उसेे पहले उन्होंने इंटरव्यू दिया था और इस भाग में उन्होंने इंटरव्यू और इंटरव्यू के पहले की घटना है और इन सबको यहां पर बयान किया है। प्रोफेसर यादव की यह डायरी हमें दिखाईी है कि किस प्रकार से उच्च शिक्षा में भी बड़े-बड़े घोटाले होते हैं और किस प्रकार से वहां पर जातिवाद होता है जाती के आधार पर एक प्रोफेसर तक को प्रताड़ित किया जाता है और मजबूर किया जाता है उसे अपनी जॉबसे छोड़ने के लिए और आखिर में वह दुखी होकर के जॉब छोड़ देता है और फिर देश की असमानता को इस खोकली बुनियादी दिखाओ की समानता को चलेंगे करने के लिए निकल जाता है और आज तक उसने क्या परिवर्तन हुआ यह हम इस डायरी में देखते हैं।
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    1 hr and 32 mins
  • पता नही
    Jan 15 2024
    यह मेरे द्वारा लिखित एक छोटी सी सागर कविता है जिसमें की यह समझाया गया कि हमारा जीवन का जीवन का मूल उद्देश्य वह नहीं है जो हम सब समझते हैं यह सब तो जीवन के उद्देश्य के लिए एक मात्रा कम है जीवन का उद्देश्य तो कुछ और ही है वह व्यक्ति का अलग-अलग है और वह होना चाहिए
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    1 min
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